Hindi to sanskrit translation | हिन्दी से संस्कृत अनुवाद

Hindi to sanskrit translation | हिन्दी से संस्कृत अनुवाद
हिन्दी से संस्कृत अनुवाद

Hindi to sanskrit translation | हिन्दी से संस्कृत अनुवाद

प्रिय छात्रो आज की पोस्ट में हमने आपको Hindi to sanskrit translation, हिन्दी से संस्कृत अनुवाद कैसे करें हिंदी से संस्कृत में अनुवाद कैसे करें, संस्कृत कैसे सीखें इसके बारे में जानकारी दी है |

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हिन्दी से संस्कृत अनुवाद के 500 उदाहरण

वे क्या पकाते हैं ?
ते किं पचन्ति ?

आशीष, तुम उसे देखने के लिए घर जाओ।
आशीष त्वं तं पश्याय गृहं गच्छ।

तौ विद्यालयं कदा अगच्छताम् ?
वयं राष्ट्रधर्मस्य पालनं कुर्याम ।

ये फल बालक के लिए हैं।
इमानि फलानि बालकाय सन्ति ।

भ्रमर गुंजार करते हैं।
भ्रमरा: गुञ्जन्ति ।

तुम पुस्तक ले आओ।
त्वं पुस्तकं आनय ।

बालिकाएँ घर कब जाएँगी ?
बालिका: गृहं कदा गमिष्यन्ति ?

राम श्याम के साथ विद्यालय जाता है।
राम श्यामेन सह विद्यालयं गच्छति ।

नागरिक लज्जित हो गया।
नागरिक: लज्जितः अभवत् ।

वे दोनों विद्यालय जाते हैं।
तौ विद्यालयं गच्छतः।

भिक्षुकों को दान दो। [2010, 18]
भिक्षुकेभ्यः दानं दत्त ।

मोहन घर से कब आएगा ?
मोहन: गृहात् कदा आगमिष्यति ?

हमें श्रेष्ठ पुरुषों का सम्मान करना चाहिए
वयं श्रेष्ठजनेषु सम्मानं कुर्याम।

वह वाराणसी कब गया था ?
सः वाराणसीं कदा अगच्छत् ?

बालिकाएँ खेल रही हैं।
बालिका: क्रीडन्ति ।

वे दोनों विद्यालय कब गये थे ?

हमें राष्ट्रधर्म का पालन करना चाहिए।

वन में मोर नाचते हैं।
वने मयूरा: नृत्यन्ति।

अयोध्या के राजा दशरथ थे।
अयोध्यायाः नृपः दशरथः आसीत् ।

माताजी खाना पकाती हैं।
मातुः भोजनं पचति ।

वे रेलगाड़ी में बैठकर जाते हैं।
ते धूमयाने स्थित्वा गच्छन्ति।

राम ने पत्र लिखा। [2010]
राम: पत्रम् अलिखत्।

सीता घर जा रही है ।
सीता गृहं गच्छति ।

हम लोग एकता की भावना से देश का उत्थान करेंगे।
वयम् एकतया भावनया देशस्य उत्थानं करिष्यामः ।

तुम पुस्तक ले आओ।
त्वं पुस्तकम् आनय ।

तुम कहाँ जाओगे?
त्वं कुत्र गमिष्यसि ?

गाँव के चारों ओर तालाब है।
ग्रामं परितः तडागः सन्ति।

बालक कुत्ते से डरता है।
बालक: श्वानात् विभेति

तुम सब देखते हो।
यूयं पश्यथ।

वह अध्यापक से पढ़ता है।
सः अध्यापकात् पठति।

छात्र ने लेख लिखा।
छात्र: लेख अलिखत् ।

अहिंसा परम धर्म है।
अहिंसा परमधर्मः अस्ति।

हंस नीर-क्षीर विवेक में विख्यात है।
हंसः नीर-क्षीरविवेके विख्यातः अस्ति।

वृक्ष के ऊपर बंदर बैठे हैं।
वृक्षस्य उपरि वानराः उपतिष्ठन्ति

. देवदत्त यज्ञदत्त से चतुर है।
देवदत्तः यज्ञदत्तात् चतुरतरः अस्ति।

बालक माता से रुपये माँगता है।
बालक: मातरं रुप्यकाणि याचते।

राम पिता से डरता है।
रामः पितुः त्रस्यति ।

शीला व्याकरण धीरे-धीरे पढ़ती है।
शीला व्याकरणं शनैः शनैः पठति ।

तुम पढ़ने के लिए विद्यालय जाते हो।
त्वं पठितुं विद्यालयं गच्छसि ।

वह विद्यालय के चारों ओर घूमता है।
सः विद्यालयं परितः परिभ्रमति ।

राम रावण के लिए काफी है।
राम रावणाय अलम् अस्ति।

बच्चा बंदर से डरता है।
बाल: वानरात् बिभेति

तुम सब गुरुओं को प्रणाम करो।
यूयं गुरून् प्रणमत।

वे हमारे मित्र हैं।
ते अस्माकं मित्राणि सन्ति ।

. देवता पवित्र स्थानों पर निवास करते हैं।
देवताः पवित्रेषु स्थानेषु निवसन्ति ।

सभी लोग परिश्रम से सफलता पाते हैं।
सर्वे जनाः परिश्रमेण सफलतां लभन्ते ।

हम सब संस्कृत पढ़ते हैं।
वयं संस्कृतं पठामः।

संस्कृत से संस्कार की शिक्षा मिलती है।
संस्कृतेन संस्कारस्य शिक्षा मिलति ।

कन्याओं का सम्मान करना चाहिए।
कन्यानाम् सम्मानं कुर्यात् ।

समय पर सुपाच्य भोजन ही खाना चाहिए।
समये सुपाच्यं भोजनमेव खादेत्

परिश्रम से सफलता मिलती है।
परिश्रमेण सफलता लभते ।

बच्चा कलम से लिखता है।
बाल कलमेन लिखति।

वह बच्चा विद्यालय जाता है।
. स: बाल विद्यालयं गच्छति।

यहाँ ऋषि और मुनि रहते हैं।
अत्र ऋषय: मुनयश्च वसन्ति ।

विमला आज घर आ गयी ।
विमला अद्य गृहम् आगता ।

मैंने गेंद खेली ।
अहं कन्दुकेन अक्रीडम् ।

यह दूध गिर गया ।
इदं दुग्धम् अपतत् ।

तुमने यह क्या किया?
त्वं इदं किम् अकरोः ?

उसे यहाँ कौन लाया?
तम् अत्र कः आनयत् ?

वे सब कहाँ गये ?
ते कुत्र आगच्छन्?

मेरे केश श्वेत हो गये ।
मम केशा: श्वेताः अभवन् ।

वृक्षों के सभी पत्ते, गिर गये ।
वृक्षाणां सर्वाणि पत्राणि अपतन् ।

मैं वहाँ रात को रहा ।
अहं तत्र रात्रौ अवसम् ।

तुम कल कहाँ थे?
त्वं ह्यः कुत्र आसी: ?

मैं वहीं था, जहाँ तुम ।
अहं तत्रैव आसं यत्र त्वम् अतिष्ठः ।

स: बाल विद्यालयं गच्छति ।
वह बच्चा विद्यालय जाता है ।

सः विद्यालयं परितः परिभ्रमति ।
बाल: वानरात् बिभेति ।

तुम पढ़ने के लिए विद्यालय जाते हो ।
त्वं पठितुं विद्यालयं गच्छसि ।

राम रावण के लिए काफी है ।
राम रावणाय अलम् अस्ति ।

दो मुनि तप करते हैं।
मुनी तप: आचरतः ।

मुनि ज्ञान के लिए तप करते हैं।
मुनयः ज्ञानाय तपः आचरन्ति ।

गुरु जी को प्रणाम।
गुरवे नमः ।

परिश्रम से सफलता मिलती है ।
परिश्रमेण सफलता लभते ।

बच्चा कलम से लिखता है ।
बाल कलमेन लिखति ।

अध्ययन के लिए विद्यार्थी जाते हैं।
अध्ययनाय छात्राः गच्छन्ति ।

छात्र पढ़ने के लिए विद्यालय जाते हैं।
छात्र: पठनाय विद्यालयं गच्छन्ति ।

लोग धन के लिए परिश्रम करते हैं ।
जना: धनाय परिश्रमं कुर्वन्ति ।

मेघ बरसने के लिए गरजते हैं।
मेघाः वर्षणाय गर्जन्ति ।

अध्यापक शिष्यों को विद्या देते हैं।
अध्यापकाः शिष्येभ्यः विद्यां यच्छन्ति । ।

मैं मजदूर को मजदूरी देता हूँ।
अहं श्रमिकाय पारिश्रमिकं यच्छामि।

मानव सदा विज्ञान के लिए यत्न करता है।
मानवः सदा विज्ञानाय यतते

वह सत्य बोले ।
सः सत्यं वदतु ।

तुम झूठ न बोलो।
त्वम् असत्यं न वद ।

तुम बहुत दिन जीवित रहो।
त्वं चिरं जीव।

हम सब मन्दिर चलें।
वयं मन्दिरं गच्छाम ।

मेघ जल बरसावें।
मेघाः जलं वर्षन्तु ।

ये बालक खेलने जाएँ।
इमें बालकाः क्रीडनाय गच्छन्तु ।

तुम सब ध्यान से कार्य करो।
यूयं सर्वे अवधानेन कार्यं कुरुत

गोविन्द बाजार जाए।
गोविन्द: आपणं गच्छतु ।

कवियों में कालिदास श्रेष्ठ हैं।
कविषु कालिदास श्रेष्ठ अस्ति।

बालक गेंद खेलते हैं।
बालका: कन्दुकानि क्रीडन्ति ।

वाराणसी देशस्य प्राचीना नगरी अस्ति
वाराणसी देश की प्राचीन नगरी है

परिश्रमेण बिना ज्ञानं न प्राप्नोति।
परिश्रम के बिना ज्ञान प्राप्त नहीं होता है

वे घर कब गए
ते कदा गृहं अगच्छन् ?

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Hindi to sanskrit translation | हिन्दी से संस्कृत अनुवाद 500 उदाहरण

संस्कृत अनुवाद कैसे करें – संस्कृत अनुवाद की सरलतम विधि – sanskrit anuvad ke niyam-1

बच्चे विद्यालय जाते हैं ।
बालका: विद्यालयं गच्छन्ति ।

सीता संस्कृत पढ़ेगी ।
सीता संस्कृत पठिष्यति ।

राम अयोध्या में रहते थे ।
राम: अयोध्यानगरे वसति स्म ।

वे दोनों पत्र लिखेंगे ।
तौ पत्रं लिखिष्यतः ।

उसे हँसना चाहिए ।
स: हसेत् ।

सीता भिक्षुक को भिक्षा देती है ।
सीता भिक्षुकाय भिक्षां ददाति ।

सदा सत्य की ही विजय होती है ।
सदैव सत्यस्य एव विजयः भवति ।

छात्रों को राष्ट्रीय गान का आदर करना चाहिए ।
छात्रान् राष्ट्रगानस्य आदरं कुर्युः ।

तुम प्रतिदिन समय से विद्यालय जाओ ।
त्वं प्रतिदिन समयेव विद्यालयं गच्छ ।

राम ने रावण को बाण से मारा था ।
राम: रावणं बाणेन हन्ति स्म ।

छात्रों को परिश्रमपूर्वक नित्य पढ़ना चाहिए ।
छात्रा: परिश्रमेण नित्य पठेयुः ।

आज मेरा मित्र पढ़ने जाएगा ।
अद्य मम मित्र पठितुं गमिष्यति ।

तुम चलचित्र मत देखो ।
त्वं चलचित्रं मा पश्य ।

वे इस समय दूध पकाएँ ।
ते अस्मिन् समये दुग्धं पचेयुः ।

गुरु ने शिष्य को देखा ।
गुरुः शिष्यं अपश्यत् ।

तुम्हें प्रतिदिन भ्रमण करना चाहिए ।
त्वां प्रतिदिनं भ्रमणं कुर्याः ।

वे मैदान में खेलते हैं ।
ते कीडाक्षेत्रेषु क्रीडन्ति ।

तुम दोनों क्या खाओगे ?
युवां किं भक्षयिष्यथः ?

राम के साथ नरेश भी गया ।
रामेण सह नरेशः अपि अगच्छत् ।

मीरा भोजन पकाती है ।
मीरा भोजनं पचति ।

तुम लोग क्यों हँसते हो ?
यूयं किं हससि ?

दिलीप कुएँ से पानी लाता है ।
दिलीप: कूपात् जलम् आनयति ।

भारतीय संस्कृति उदार और गतिशील है ।
भारतीय संस्कृति : उदारा गतिशीला च वर्तते ।

हम दोनों को विद्यालय जाना चाहिए ।
आवां विद्यालयं गच्छेव ।

सच और मीठा बोलो ।
सत्यं मधुरं च वद |

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संस्कृत अनुवाद कैसे करें – संस्कृत अनुवाद की सरलतम विधि – sanskrit anuvad ke niyam-1

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