Up board solution for class 12 sanskrit chandrapeed katha part 3

UP BOARD CLASS 12 SANSKRIT SYLLABUS 2022-23 FREE PDF

Up board solution for class 12 sanskrit chandrapeed katha part 3

कक्षा 12 संस्कृत चन्द्रपीड कथा

अथ महाश्वेता ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, ,प्रायच्छत् ।

अथ महाश्वेता कादम्बरीम् अनामयं पप्रच्छ । सा तु सखीप्रेम्णा गृहनिवासेन कृतापराधेव लज्जमाना कृच्छ्रादिव कुशलम् आचचक्षे | मुहुर्तापगमे च महाश्वेता ताम्बूलदानोद्यतां ताम् अभाषत्-“सखि कादम्बरि, सर्वाभिरस्माभिः अयम् अभिनवागतः चन्द्रापीडः आराधनीयः । तदस्मै तावत् दीयताम्” इति । इत्युक्ता सा शनैः अव्यक्तमिव “सखि, लज्जेऽहम् अनुपजातपरिचया प्रागल्भ्येनानेन । गृहाण त्वमेव अस्मै प्रयच्छ” इत्युवाच पुनः पुनः अभिधीयमाना च तया ग्राम्येव चिरात् दानाभिमुखं मनश्चक्रे । महाश्वेतामुखात् अनाकृष्टदृष्टिरेव वेपमानाङ्गयष्टिः प्रसारयामास च ताम्बूलगर्भ हस्तपल्लवम् । चन्द्रापीडस्तु स्वभावपाटलं धनुर्गुणाकर्षणकृतकिणश्यामलं पाणि प्रसार्य ताम्बूलं प्रतिजग्राह अथ सा गृहीत्वा अपरं ताम्बूलं महाश्वेतायै प्रायच्छत् ।

शब्दार्थ– अनामयम् = रोगहीनता, स्वस्थ सखीप्रेम्णा सखी के प्रेम से गृहनिवासेन घर में रहने के कारण । कृतापराधेन = अपराधिनी जैसी । कृच्छ्रादिव = कठिनाई से आचचक्षे कही । मुहूर्तापगमे = एक क्षण बीतने पर । ताम्बूलदानोद्यतां = ताम्बूल देने के लिए तैयार। ताम् = उससे, कादम्बरी से । अभाषत् = बोली । सर्वाभिरस्माभिः = सभी लोगों द्वारा अभिनवागत नया-नया आया हुआ । आराधनीयः = सत्कार योग्य है। दीयताम् = दो । अव्यक्तमिव = अप्रगट रूप से । अनुपजात = परिचय न होने से। प्रागल्भ्येनानेन =इस ढिठाई से गृहाण लो । अस्मै = इसके लिए । प्रयच्छ= दो । इत्युवाच =इस प्रकार कहा । पुनः पुनः = बार-बार अभिधीयमाना कही जाने पर । ग्राम्येव = ग्रामीण के समान तात्पर्य भोलेपन के साथ। चिरात् = बड़ी देर के बाद । दानाभिमुखम् = देने की ओर । मनश्चक्रे= मन किया । अनाकृष्टदृष्टिरेव= बिना दृष्टि हटाये । वेपमानाङ्गयष्टिः = कांपते हुए शरीर से । प्रसारयामास = फैलाया । ताम्बूलगर्भम् = ताम्बूल युक्त स्वभावपाटलम् = स्वभावतः लाल । धनुर्गुणाकर्षणकृतकिणश्यामलम् = धनुष की डोरी खींचने से पड़े हुए घट्टे के कारण काले । पाणिम् = हाथ को प्रसार्य = फैलाकर । प्रतिजग्राह = ले लिया अपरम् दूसरा प्रायच्छत् = दिया ।

हिन्दी अनुवाद- इसके पश्चात् महाश्वेता ने कादम्बरी से उसके स्वास्थ्य के विषय में पूछा अपनी सखी के प्रेम से पूर्ण होते हुए भी घर में रहने के कारण (अर्थात् महाश्वेता की तरह मैं भी क्यों नहीं वनवासिनी बन गयी अपने आप को अपराधिनी जैसी मानती हुई कादम्बरी ने लज्जित होकर बड़ी कठिनाई से कुशल समाचार कहा! थोड़ी देर बीतने पर पान देती हुई कादम्बरी से महाश्वेता ने कहा- “सखि! हम सबों को नवागन्तुक अतिथि का सत्कार करना चाहिए । अतः पहले इन्हें पान दो । ” ऐसा कहने पर कादम्बरी ने बहुत धीरे से अप्रगट रूप में कहा- “सखि परिचय न होने के कारण इस प्रकार की धृष्टता करने में मुझे लज्जा आ रही है । इसलिए तुम्हीं उन्हें दे दो । ” गाँव की भोली-भाली स्त्री के समान बार-बार समझाने पर कादम्बरी ने पान देने का विचार किया और महाश्वेता की ओर से बिना दृष्टि हटाये (अर्थात् चन्द्रापीड की ओर बिना देखे ही) काँपते हुए शरीर से पानयुक्त हाथ को (चन्द्रापीड की ओर) बड़ा दिया । स्वभावतः लाल किन्तु धनुष की डोरी खींचने से पड़ने वाली रगड़ से काले पड़े हुए हाथ को बढ़ाकर चन्द्रापीड ने उसे ले लिया । इसके पश्चात् दूसरा पान लेकर कादम्बरी ने महाश्वेता को दिया ।

व्याकरणात्मक टिप्पणी- ताम्बूलदानोद्यताम् = ताम्बूलदानाय उद्यता या ताम् अनुपजातपरिचया अनुपजातः परिचयः यस्याः सा । प्रागल्भ्येनानेन = प्रागल्भ्येन अनेन इत्युवाच इति + उवाच ग्राम्येव ग्राम्या इव अनाकृष्टदृष्टिरेव = अनाकृष्टा दृष्टिः यया सा वेपमानाङ्गयष्टिः वेपमाना अंगयष्टिः यस्या सा धनुर्गुणाकर्षणकृतकिणश्यामलम् (= धनुषः गुणस्य आकर्षणेन कृतः = यः किणः तेन श्यामलम् ।

|| प्रश्नोत्तरः ||

प्रश्न 1. उपर्युक्त गद्यांश किस पुस्तक से उद्धृत है?

उत्तर- प्रस्तुत गद्यांश ‘चन्द्रापीडकथा’ (उत्तरार्द्ध भाग) से उद्धृत है।

प्रश्न 2. महाश्वेता काम् अभाषत्?

उत्तर- महाश्वेता कादम्बरीम् अभाषत्।

प्रश्न 3. “सखि! लज्जेऽहम् अनुपजातपरिचया प्रागल्भ्येनानेन।” रेखांकित अंश का अनुवाद कीजिए। सखि! परिचय न होने के कारण इस प्रकार की धृष्टता से मुझे लज्जा आ रही हैं।

प्रश्न 4. ‘अस्मै” में कौन-सी विभक्ति है?

उत्तर- “अस्मै” में चतुर्थी विभक्ति है। ‘अस्मै’ चतुर्थी विभक्ति एकवचन का रूप है।

प्रश्न 5. “वेपमानाङ्गयष्टिः ” का शाब्दिक अर्थ लिखिए।

उत्तर- “वेपमानाङ्गयष्टिः ” का शाब्दिक अर्थ है- काँपती हुई शरीर वाली।

प्रश्न 6 . “सखि कादम्बरि, सर्वाभिरस्माभिः अयम् अभिनवागतः चन्द्रापीडः आराधनीयः । ” रेखांकित अंश का अनुवाद कीजिए।

उत्तर – सखि ! हम सभी को नवागन्तुक (अतिथि) चन्द्रापीड का सत्कार करना चाहिए।

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