
Up Board Solution For Class 12 Sanskrit Character sketch of pundareek पुण्डरीक का चरित्र चित्रण
पुण्डरीक का चरित्र चित्रण – (2017 NF, NI, 20 ZQ,ZT)
पुण्डरीक महाकवि बाणभट्ट कृत कादम्बरी का महत्त्वपूर्ण पात्र है। उसके चरित्र में निम्न प्रमुख विशेषताएँ देखने को मिलती हैं- सुन्दर एवं चञ्चल – महामुनि श्वेतकेतु से आकृष्ट लक्ष्मी के मानसपुत्र का नाम पुण्डरीक है। तीनों लोक में श्वेतकेतु का रूप सर्वाधिक सुन्दर है, अतः पुत्र पुण्डरीक भी अत्यन्त सुन्दर युवक है। लक्ष्मी का पुत्र होने से उसमें नैसर्गिक चञ्चलता भी है। तभी तो महाश्वेता के आकृष्ट होते ही वह अपनी मानसिक दुर्बलता के कारण उस पर आसक्त हो जाता है।
कुशल प्रेमी- महाश्वेता के पुष्पमञ्जरी विषयक कौतूहल को देखकर वह उसके पास चला आता है और अपने कानों से उतारकर उसके कानों में पहनाते समय अनजाने ही महाश्वेता के गालों के स्पर्शसुख से उसकी अँगुलियाँ काँप जाती हैं। और रुद्राक्षमाला उसके हाथ से गिर जाती है। मुनिपुत्र होने पर भी पुण्डरीक प्रणयव्यापार में प्रवीण है।
वाक्पटु – महाश्वेता के प्रेमपाश में आबद्ध हो जाने से कपिञ्जल उसकी भर्त्सना करता है, तो वह असत्य भी बोल जाता है और कहता है कि वह कामवश नहीं है। बनावटी क्रोध से वह महाश्वेता को प्रेम फटकार भी सुनाता है, किन्तु अवसर मिलते ही छिपकर तरलिका के पास पहुँच जाता है और महाश्वेता के बारे में सारी बातें पूछता है। वह प्रेमपत्र भी तरलिका के माध्यम से महाश्वेता के पास पहुंचा देता है। पुण्डरीक की धार्मिकता, विद्वत्ता, तपस्विता एवं मित्रता आदि का मूल्याङ्कन कपिञ्जल के शब्दों में किया जा सकता है और यह कहा जा सकता है कि पुण्डरीक के अन्दर अनेक विशेषताएँ हैं।
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